--यादों का पिटारा--

यों रात रात भर जगना 
यों सुबुक-सुबुक के,
हर उस बात को याद करना
जो हमने साथ संजोये थे। 
न जाने कितनी ही बातों को 
कितनी बार तोड़ा मरोड़ा गया
 था,
अंततः हल उसका तुम होती थी, 
मैं आज भी 
रात-रात भर तुमको याद करके गुजारा करता हूँ,
बस उन यादों में अब पहले सा सुकून और मिठास नहीं 
कुछ तल्खियां,
कुछ रंज, 
और 
तेरे छोड़ जाने का सबब ही बाकी रह गया है।।

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