हर स्त्री, पुरुष के साथ बराबरी चाहती है, मगर इस शर्त के साथ कि चूहे,
छिपकली और कॉकरोच के साथ पुरुष अकेले ही निपटेगा.
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#सपने# सपने अगर कहानियों से है,तो उन्हें बुनो। उन्हें हर बात से जोड़ के देखो,जो उसे मजेदार बनाये।ठीक उसी तरह जिस तरह कहानियों में अलग-अलग किरदार होते है।जो उस कहानी की मिठास,उसकी करयोसिटी,सस्पेन्स सब बनाये रखती है। जब कभी सपने बुनो तो एक बात हमेशा याद रखना।सपने वो बुनना जो........जो तुम्हारे अकेले के लिए न हो। वो उन सब लोगों के लिए हो,जो तुमको चाहते है, जिनके लिए तुम अजीज हो। उन्हें उन सपनों में इस कदर संजोये रखना। जिस कदर पूस की रात मे जबरा, जिस कदर पंच लाइट में पेट्रोमेक्स, देवदास में चंद्र मुखी, जैसे जंगल बुक में बघीरा, जिनके बिना कहानी अपने सारे किरदार के होने के बावजूद खाली सी लगती है। सपने बुनने और टूटने का दौर हमेशा चलता रहता है। तो...... सपने बुनना हमेशा जारी रखिये क्योंकि एक सपने ही तो है,जो जिंदगी की तरह खत्म नहीं होते,बल्कि टूटने और पूरी तरीके से खत्म होने के बावजूद एक नये सपने का बीज डाल जाते है।ताकि वो सपना पेड़ में तब्दील हो सके। सपने देखते रहिये..... लगातार। -durga singh banagri
#अकेलापन कमी महसूस होती है। मुझे उस वक़्त तुम्हारी जब मैं अकेला खुद से तन्हा मिलता हूँ तुम्हारी बक-बक का इतना आदी हो चुका हूँ कि ये वक़्त, ये खाली कमरा, ये सपने, ये रूह, बस अब तुम्हारी तलबगार है। और उस इंतजार में जो कभी खत्म नहीं होगा। क्योंकी सुना है!जब रूह साथ छोड़ दें, तो ज़िस्म बेजान लाश है। और "लाश"बात नहीं करती। d.s.bangari
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