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Showing posts from October, 2018
#कुछ लफ्ज़  बात बस इतनी सी है।  कि तुम्हारा मेरी जिंदगी से जाना किसी  बेसबब मौत से कम नहीं था।  खुशी इस बात की है,  वो पल जो हमने साथ बिताए थे ।  तुम उनकी गठरी मेरे पास ही भूल आयी हो।  तुम कुछ दिनों की मेहमान बन कर आयी तो थी  मेरी जिंदगी में "बेशक"खाली हाथ  पर जाने से पहले, एक उम्र की यादें देकर गयी हो  बस फर्क नहीं कर पा रहा हूँ मैं  तुम्हें बेवफा कहूँ, दरियादिल।  D.s.banagri 
#सहमा-इश्क दरोगा सा रौब है,उसका मेरी यादों पर। मैं मुजरिम सा,हर वक़्त सहमा रहता हूँ। d.s.bangari 
#अकेलापन कमी महसूस होती है। मुझे उस वक़्त तुम्हारी जब मैं अकेला खुद से तन्हा मिलता हूँ तुम्हारी बक-बक का इतना आदी हो चुका हूँ कि ये वक़्त, ये खाली कमरा, ये सपने, ये रूह, बस अब तुम्हारी तलबगार है। और उस इंतजार में जो कभी खत्म नहीं होगा। क्योंकी सुना है!जब रूह साथ छोड़ दें, तो ज़िस्म बेजान लाश है। और "लाश"बात नहीं करती। d.s.bangari 
गिटार और ग़ज़ल में ज्यादा फर्क नहीं, आखरी फैसला तुम्हारा है। तुम एक मुकम्मल ग़ज़ल बनना चाहती हो या चंद रोज गिटार की धुन। (chackout my writing ....) (https://yq.app.link/FcKsBIB4LQ) .....Durga bangari