ख़्याल-ए-हसरत

सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.,.,!!

Comments

  1. मुझे ये तक नहीं पता की मेरे इन अल्फाज़ों को देखने वाले जनाब है या मोहतरमा .....ये मेरे लिए दिल के भावनाओं को शब्दों में पिरोने का एक जरिया है।
    अब आप अगर कुछ कहेंगे नहीं तो हम कैसे जान पाएंगे की क्या गलत क्या सही, और ये भी कैसे पता चल पाएगा की आपको क्या पसंद क्या नहीं ......
    ......तो कहिये कुछ तो कहिये

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog