#अकेलापन
कमी महसूस होती है।
मुझे उस वक़्त तुम्हारी
जब मैं अकेला
खुद से तन्हा मिलता हूँ
तुम्हारी बक-बक का इतना आदी हो चुका हूँ
कि
ये वक़्त,
ये खाली कमरा,
ये सपने,
ये रूह,
बस अब तुम्हारी तलबगार है।
और
उस इंतजार में जो कभी खत्म नहीं होगा।
क्योंकी
सुना है!जब रूह साथ छोड़ दें,
तो ज़िस्म बेजान लाश है।
और
"लाश"बात नहीं करती।
d.s.bangari
कमी महसूस होती है।
मुझे उस वक़्त तुम्हारी
जब मैं अकेला
खुद से तन्हा मिलता हूँ
तुम्हारी बक-बक का इतना आदी हो चुका हूँ
कि
ये वक़्त,
ये खाली कमरा,
ये सपने,
ये रूह,
बस अब तुम्हारी तलबगार है।
और
उस इंतजार में जो कभी खत्म नहीं होगा।
क्योंकी
सुना है!जब रूह साथ छोड़ दें,
तो ज़िस्म बेजान लाश है।
और
"लाश"बात नहीं करती।
d.s.bangari
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