बदनाम

मुझे तुम बदनाम ही रहने दो ,
जो छलक गया वो जाम ही रहने दो

आती थी वो सबसे छुप कर मिलने जहाँ
मेरी उस छत को अब सूनसान ही रहने दो ।

जरूरी नही की मुक़म्मल हो मुहब्बत सबकी ,
डायरी के पन्नो में छुपी उसे दास्ताँ ही रहने दो ।

हो चुकी है वो किसी और के घर आबरू अब
जवानी के उन किस्सों को अब राज़ ही रहने दो ।

तुम बदल गए शायद यही ख्वाहिश थी तुम्हारी
नए बस्ते में मुझे वो पुरानी किताब ही रहने दो ।

मुझे तुम गुमनाम ही रहने दो .....

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