--आस--

अरमानों का टूटना क्या होता है? सोचा है,कभी।
ये जान कर सिहरन होने लगती है।
कभी देखा है,कोई सपना
वही सपना जिसको हकीकत तब्दील करने में
नींदे हराम होती है।
नीदें तो नीदें
और न जाने कितना कुछ हराम होता है।
सच कहूँ तो अरमानों का टूटना, बिखरना
टूट के चकनाचूर हो जाना
और
फ़िर खुद में सिमट जाना
ये एक आगाज़ है।
उस सपने को देखने का जो बना है,
सिर्फ हमारे लिए
जिसमें न सिहरन होगी
न ही टूटने, छूटने और फूटने का डर।

.......दुर्गेश

Comments

Popular posts from this blog